मुझे उम्रदराज होने पर मुहब्बत हुई,
हैरान हूं अपने इस बेशर्मी पर,
लाख समझाया अपने आप को,
यह अच्छी तहज़ीब नहीं,
देने बांटने के वक्त में,
केवल बदनामी,परेशानी देंगे,
पर इस दिल को बेपनाह इश्क ने है जकड़ा,
लाख समझाया अपने बहके मन को,
पर वह अपनी ज़िद पर ही अकड़ा,
तब मुझे मेरी जिन्दगी ने कहा,
चल पगली दूसरों पर मरती रही,
अब अपने से प्यार किया,अच्छा किया,
तुने अपनी घिसी पिटी मोहब्बत का रुख,
ज़मीन से रुखसत होने से पहले तो, बदला।