#कहिए_पतिदेव
पत्नी हमेशा ही पति की अपेक्षा अधिक संवेदनशील और दिल ही दिल में गहराई से सोचने वाली भावुक स्त्री होती है जबकि पति व्यावहारिक सोच रखकर धरातल पर जीने वाले सुथरे व्यक्ति होते हैं।उन बेचारों के मन में इतने झोल नहीं होते।
ऐसा इसलिए भी है कि उनकी दृष्टि व्यापक है, वे पत्नी और बच्चों की बेहतरी के नज़रिए से संसार को देखते हैं, जबकि पत्नी पति में संसार देखती है।
परिणाम ये होता है कि पति-पत्नी एक दूसरे से बेइंतिहा प्यार करके भी कभी एक दूसरे के मन को समझ ही नहीं पाते और बेवजह नाराज़ रहते हैं।
इसमें किसी का भी दोष नहीं है क्योंकि दोनों के मन की संरचना भिन्न प्रकार की है।
हालांकि पतिदेव अपना पूरा जीवन पत्नी को हर खुशी देने में लगा देते हैं …
पर पत्नी….. मन में प्यार होने के बावजूद सरलता से नज़दीक आने की बजाय, निकटता पाने के लिए नाराज़गी दिखाती है, जताती है कि वो गुस्से में है, चाहती है उसे पति मनाए, पति हिम्मत करके मनाने का प्रयास जुटाते हैं तो उपेक्षा करती है और अधिक रूठ जाने का अभिनय करती है, ऐसे में पतिदेव हार मानकर चुप बैठ जाएँ तो फिर पत्नी मन ही मन रोने लगती है, हृदय मन मस्तिष्क में तूफ़ान ले आती है कि ये मुझे ज़रा भी नहीं समझते !