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AAJ KA VICHAR | न तेजस्तेजस्वी प्रसृतमपरेषां प्रसहते । स तस्य स्वो भावः प्रकृति नियतत्वादकृतकः ॥ WORDS OF SAMARPAN



 आज का विचार

                 

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 न तेजस्तेजस्वी प्रसृतमपरेषां प्रसहते ।

स तस्य स्वो भावः प्रकृति नियतत्वादकृतकः ॥


तेजस्वी इन्सान दूसरे के तेज को सहन नहीं कर सकता, क्यों कि वह उसका जन्मजात, प्रकृति ने तय किया हुआ स्वभाव है ।               

                       

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