आज का विचार
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अनेकसंशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शकम् ।
सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यन्ध एव सः ।।
अर्थात- अनेक संशयो को मिटाने वाला ,भूत एवं भविष्य को तथा अप्रत्यक्ष को प्रत्यक्ष के समान दिखानेवाला, शास्त्ररूपी दिव्यचक्षु जिसके पास नहीं है,वह वास्तव में अन्धा है।
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