आज का विचार
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देशवंशजनैकोऽपि कायवाक्चेतसां चयै ।
येन नोपकृतः पुंसा तस्य जन्म निरर्थकम् ।।
अर्थात-जिस किसी पुरूष ने शरीर ,वाणी और मन इन तीनों द्वारा अथवा इसमें से किसी एक के द्वारा देश का अथवा अपने वंश का एक भी उपकार यदि न किया तो ऐसे अनुपकारी पुरूष का जन्म लेना ही व्यर्थ है।
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