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AAJ KA VICHAR | परो अपि हितवान् बन्धुः बन्धुः अपि अहितः परः। अहितः देहजः व्याधिः हितम् आरण्यं औषधम्।। Paro api haitav bandhu Bandhu Aphit aahtah par Ahit Dehaj Vyadhi Hitam Aaranyam Aushadham




 आज का विचार 


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परो अपि हितवान् बन्धुः बन्धुः अपि अहितः परः।

अहितः देहजः व्याधिः हितम् आरण्यं औषधम्।।


अर्थ — यदि कोई अपरिचित व्यक्ति आपकी मदद करें तो उसको अपने परिवार के सदस्य की तरह ही महत्व दें और अपने परिवार का सदस्य ही आपको नुकसान देना शुरू हो जाये तो उसे महत्व देना बंद कर दें। ठीक उसी तरह जैसे शरीर के किसी अंग में कोई बीमार हो जाये तो वह हमें तकलीफ पहुंचती है। जबकि जंगल में उगी हुई औषधी हमारे लिए लाभकारी होती है।


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