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AAJ KA VICHAR | न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन:।काक:सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति।। | WORDS OF SAMARPAN


आज का विचार 


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 न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन:।
काक:सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति।।

अर्थात:- लोगों की निंदा किये बिना दुष्ट व्यक्तियों को आनंद नहीं आता। जैसे कौवा सब रसों का भोग करता है परंतु गंदगी के बिना उसकी तृप्ति नहीं होती

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