Advertisement



Navratri special poem | beinteha | Shefali Shah | words of samarpan




बेइंतहा

सूनी सूनी अंखियों में एक तेरी तलाश है,
खेल रही डांडिया पर बस तेरी ही प्यास है.

हाथ जोड़ माता को मैं करती रहती बिनती,
कर दे कामना पूरी, एक तुझसे ही आस है.

ओढ़ के आई देख आज सितारों वाली चुनरी,
सिर्फ़ तेरे लिए ही पहना खास ये लिबास है.

चांद सी चमकिली बिंदी सजाई है ललाट पे,
फ़िर भी फिकी पड़ी चमक, क्योंकी तू उदास है.

कर लूंगी इन्तजार तेरा जब तक मेरी सांस है,
क्योंकी अपने प्यार पे मुझे बेइंतहा विश्वास है.

Shefali Shah