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भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि

US shares India's grief over Atal Bihari Vajpayee's death

अटल जी नेता बाद में थे इन्सान पहले थे। वो ठीक वैसे थे जैसे लोग पॉलिटिक्स में नहीं होते। उनको जब बचपन में सदन में बोलते देखकर लगता था कि अपनी बात को शालीनता के साथ धारदार तरीके से भी रखा जा सकता है। भारी बात को हल्के फुल्के अंदाज़ में बोलकर और ज़्यादा वज़नी भी बनाया जा सकता है।

एक बार का किस्सा है, साल था 1996, अटल जी सदन में थे मुलायम सिंह यादव जी पहली बार लोकसभा पहुँचे थे। 13 दिन की सरकार थी, विश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी।
जब अटल जी कुछ बोलते तो बार बार मुलायम सिंह हूट कर रहे थे, शोर मचा रहे थे। अटल जी के बोलने पर बार बार व्यवधान डाल रहे थे। भाजपा के लोग भी इसके जवाब में रिएक्ट केर रहे थे। जब दोनों तरफ़ से शोर बहुत बढ़ गया तब अटल जी ने भाजपा के लोगों को चुप रहने का इशारा किया और बोले, " मुलायम जी को बोलने दीजिए। पहली बार लोकसभा आए हैं। यहाँ के तौर तरीके सीखने में अभी वक़्त लगेगा"

ये बात वैसे ही थी जैसे किसी अंग्रेज़ी में पीएचडी आदमी को कोई ये कह दे कि यार तुम तो अपने नाम की स्पेलिंग भी सही से नहीं लिख पाते।
अटल जी के यह कहने के बाद मुलायम जी ने फिर बीच में डिस्टर्ब नहीं किया। इस मामले में मुलायम सिंह जी की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने बात समझी और चुप हो गए। लेकिन अटल जी के अंदाज़ का कोई जवाब नहीं।

अटल जी किसी भी तस्वीर को आप देखिए, उसमें उम्मीद दिखती है।
हर फील्ड के लोग अटल जी से सालों साल लोग प्रेरणा लेते रहेंगे। नमन 🙏
AtalBihariVajpayee

* ये बात यादाश्त के भरोसे लिखी गयी है। हो सकता है कि असली वाक्य थोड़ा इधर उधर रहा हो लेकिन बात के मतलब यही थे।